अयोध्या,27/नवंबर/2018/ITNN>>> राम मंदिर मसले पर आशीर्वाद समारोह के बहाने शिवसेना देश की सियासत में हलचल पैदा कर चुकी है। अब उस समुदाय पर शिवसेना की नजह है,जिसमें कट्टर हिंदुत्व को लेकर छटपटाहट दिख रही है। इसके लिए पार्टी अग्रिम मोर्चे पर दिखना चाहती है। वह उत्तर प्रदेश को केंद्र में रखकर अपने संगठन को नए सिरे से खड़ा करने की तैयारी में है। शिवसेना अयोध्या मुद्दे के इर्द-गिर्द रणनीति बना रही है।
जानकारों के मुताबिक,उसका अगला कदम लखनऊ में रैली कर हिंदुत्व के मुद्दे को गर्म करना होगा। इस मामले में केंद्रीय मंत्री उमा भारती का साथ भी उद्धव ठाकरे को मिल रहा है। उन्होंने उद्धव ठाकरे के प्रयास की सराहना की और कहा कि बीजेपी का राम मंदिर मुद्दे पर पेटेंट नहीं है। उन्होंने राम मंदिर बनवाने के लिए आजम खान और ओवैसी से भी मदद का आह्वान किया। उमा भारती ने कहा कि भगवान राम सभी के हैं। मैं एसपी,बीएसपी,अकाली दल,ओवैसी और आजम खान से अपील करती हूं कि वे राम मंदिर के निर्माण में मदद के लिए आगे आएं।
बताते चलें कि शनिवार को अयोध्या पहुंचे उद्धव ठाकरे ने राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को लेकर मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा था।उन्होंने मंदिर पर अपनी प्रतिबद्धता को साफ करते हुए केंद्र से कहा कि चाहे कानून बनाए या अध्यादेश लाए,लेकिन अयोध्या में मंदिर जल्द बनना चाहिए। शिवसेना प्रमुख ने रविवार को आरोप लगाया कि पार्टियां चुनाव के समय राम-राम करती हैं और फिर बाद में आराम से बैठ जाती हैं। उद्धव ने कहा,मंदिर नहीं बना सकते, तो हमसे कहो कि नहीं हो पाएगा। चुनाव के समय मंदिर का मुद्दा नहीं उठाओ।
यूपी में सियासी भूचाल लाएगी शिवसेना
महाराष्ट्र में कट्टर हिंदुत्व की नुमाइंदगी करती रही शिवसेना अब उत्तर प्रदेश की सियासत में भूचाल लाने की योजना पर काम कर रही है, ताकि उसे राष्ट्रव्यापी पहचान मिल सके। इसके लिए उसके पास अपने संस्थापक बालासाहब ठाकरे के 1992 में विवादित ढांचा ध्वंस में भागीदारी स्वीकार करने की पूंजी है। अब इसी पूंजी को वह कैश करा हिंदुत्व की सियासत की झंडाबरदार बनना चाहती है।
इसके लिए अयोध्या मसले पर आशीर्वाद समारोह का आयोजन कर प्लेटफार्म तैयार कर चुकी है लेकिन,उसे अपनी संगठनात्मक कमजोरी का भी एहसास है। यही कारण है कि अगला कदम उठाने के पहले वह पूरे प्रदेश में संगठन का ढांचा खड़ा कर लेना चाहती है। इसके लिए वह अपने सिपहसालारों की मंशा को खंगालने के साथ ही हिंदुत्व के प्रखर चेहरों को अपने साथ जोड़ने की कवायद कर रही है। इस बात की ओर इशारा शिवसेना संसदीय दल के नेता संजय राउत भी करते हैं।
शिवसेना का बदला रूप दिखेगा
अनौपचारिक बातचीत में वह कहते हैं कि शिवसेना अब चुप नहीं रहने वाली है। हम इस मसले को महज सियासी लाभ के लिए नहीं उठा रहे हैं। उदार हिंदुत्व से पहले ही काफी नुकसान हो चुका है। अब और नहीं। जल्द ही शिवसेना का बदला रूप दिखाई देगा। हम निरंतर अपनी ताकत दिखाएंगे। इसका केंद्र उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ भी हो सकती है। अगले एक सप्ताह में शिवसेना अपने नए प्रदेश प्रमुख का चेहरा सामने ला सकती है।