लखनऊ,28/जनवरी/2019/ITNN>>> हर चुनाव से पहले जेल में बंद माफिया और गैंगस्टर उत्तर प्रदेश में चुनावी मैदान में उतरने की कोशिश करते हैं और इस बार भी मामला कुछ अलग नहीं है। राज्य की जेलों में बंद या जमानत पर बाहर गैंगस्टर्स से राजनेता बने लोगों ने आगामी आम चुनाव लड़ने के लिए राजनीतिक दलों से टिकट हासिल करने के लिए चुनावी अभियान शुरू कर दिया है। राजनीतिक दलों द्वारा माफियाओं को चुनावी टिकट देना कोई नई बात नहीं है और लोकसभा चुनाव 2019 में भी पार्टियां इन्हें टिकट दे सकती हैं।
इसका ताजा उदाहरण हाल ही बनाई गई जनसत्ता पार्टी के नेता अक्षय प्रताप सिंह का बरेली जेल में जाकर माफिया अतीक अदमद से मिलना है। प्रयागराज क्षेत्र में अतीक अहमद का काफी प्रभाव है,जिसका फायदा जनसत्ता पार्टी उठाना चाहती है। हालांकि अक्षय ने इस यात्रा को 'पुराने दोस्त' अतीक के साथ के मुलाकात भर करार दिया था। लेकिन घटनाक्रम से परिचित लोगों ने कहा कि उन्होंने अतीक को आगामी लोकसभा चुनाव अपनी पार्टी से लड़ने की पेशकश की थी।
कुंडा (प्रतापगढ़) के निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया द्वारा शुरू की गई जनसत्ता पार्टी लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों को उतारने की योजना बना रही है। अतीक ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर फूलपुर से 2004 का लोकसभा चुनाव जीता था। लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी के रूप में श्रावस्ती लोकसभा सीट पर वह भाजपा से हार गया था। वहीं दूसरी ओर बसपा के टिकट पर 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले,मुख्तार अंसारी ने अपनी पार्टी कौमी एकता दल (QED) को बसपा में मिला लिया था और मऊ विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी।
उसके खिलाफ 45 आपराधिक मामले हैं और वह हत्या के दो मामलों में आरोपी है। बसपा के मंत्री ने बताया कि बसपा पार्टी अध्यक्ष मायावती उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग कर रही हैं। अंसारी के टिकट को अभी अंतिम मंजूरी नहीं मिली है लेकिन उसके भाई अफजल अंसारी को गाजीपुर लोकसभा सीट के लिए हरी झंडी दे दी गई है। यूपी के एक और बाहुबली बसपा के एक पूर्व सांसद धनंजय सिंह, जिसे पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। उन्होंने एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में 2014 के लोकसभा चुनाव हार लड़ा लेकिन हार गए थे।
सूत्रों के अनुसार सिंह की बसपा नेताओं के साथ उनके गढ़ जौनपुर से टिकट को लेकर बातचीत चल रही है। धनंजय सिंह फिलहाल जमानत पर बाहर है। सूत्रों ने कहा कि धनंजय और मायावती के बीच शुरुआती बातचीत अनिर्णायक रही और वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनसत्ता पार्टी के भी संपर्क में है। एक अन्य माफिया रिजवान जहीर भी कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में श्रावस्ती से चुनाव लड़ सकता है। उन्होंने पीस पार्टी के टिकट पर 2014 के लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी थी। गोरखपुर के एक बहुचर्चित माफिया डॉन और पूर्व विधायक हरि शंकर तिवारी भी संत कबीर नगर से अपने बेटे भीम शंकर उर्फ कुशल तिवारी के लिए बसपा का टिकट पाने की कोशिश कर रहे हैं।
फैजाबाद-अंबेडकर नगर क्षेत्र में अपने प्रभाव के लिए जाने जाने वाले,पवन पांडे पूर्व बसपा सांसद भी सुल्तानपुर सीट के लिए पार्टी से टिकट की दौड़ में हैं। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आरोपी इस नेता ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले शिवसेना से बसपा का रुख किया था। डकैत ददुआ का भाई हिस्ट्रीशीटर और फिरौती के मामलों में आरोपी बाल कुमार पटेल भी बांदा से सपा का टिकट का टिकट पाने की कोशिश कर रहा है। माफिया डॉन उमाकांत यादव, जिसका जौनपुर-आज़मगढ़ क्षेत्र में प्रभाव है और जो पिछले साल राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) से बसपा में आ गया था पूर्वी यूपी की एक सीट से चुनाव लड़ सकता है।
नरेंद्र भाटी,कादिर राणा,हाजी मोहम्मद याकूब,डीपी यादव,कपिल मुनि करवरिया,जितेंद्र सिंह बबलू,बृजभूषण शरण सिंह,विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह और भगवान शर्मा जैसे अन्य बाहुबली भी लोकसभा चुनाव में टिकट की दौड़ में हैं। राजनीतिक विश्लेषक एके मिश्रा ने कहा कि ताकत और पैसे की शक्ति का उपयोग करके चुनाव जीतने के लिए,राजनीतिक दल यूपी में गैंगस्टरों और अपराधियों को टिकट दे रहे हैं। चुनाव आयोग ने चुनाव प्रक्रिया में सुधार की कोशिश कर रहा है लेकिन अपराधियों को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है।