ग्वालियर,24/नवंबर/2018/ITNN>>> चंबल का आतंक नाम से पहचाने जाने वाले डाकू मलखान सिंह अब 74 साल के हो चुके हैं। 16 साल की उम्र मे ही उनकी लंबाई 6 फीट 2 इंच हो गई थी। वह उन दिनों को याद करते हुए कहते हैं,मेरी मां कहती थी कि लड़का कुछ खाता नहीं है लेकिन इसका शरीर लोहे का है। उन्होंने कहा मैंने अपनी जिंदगी में कभी शराब,पान या तंबाकू नहीं खाया। सिंह ने मध्यप्रदेश में अर्जुन सिंह की सरकार के दौरान 1982 में आत्मसर्पण कर दिया था। अब वह गुना में अपने परिवार के साथ एक शांत जिंदगी जीते हैं। मध्यप्रदेश में चुनावों की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है।
इस पर मलखान का कहना है,आज के नेता असली डाकू हैं। वह हाईटेक डाकू हैं। हम बागी हैं डाकू नहीं। नेता बनना आसान है लेकिन बागी बनने के लिए हिम्मत चाहिए। हमारी ईमानदारी की लड़ाई थी। हमने कर्मचारियों और किसानों के अधिकारों के लिए और जिन्हें जाति की वजह से अपमान सहना पड़ा उनकी लड़ाई लड़ी। आज नेताओं के पास बहुत पैसा है। ऐसा लगता है कि उनके घर में नोट छापने की मशीन है। चंबव के दूसरे और डाकू पान सिंह तोमर के भतीजे बलवंत सिंह तोमर अपने चाचा की 1981 में हुए मुठभेड़ में हुई मौत के बाद गैंग का सरदार बन गया।
उसने कहा,किसानों के लिए कोई न्याय नहीं है क्योंकि पटवारी और थाना प्रभारी के पास बहुत सारी शक्ति है। मंडी अध्यक्ष हमेशा राजनेताओं से संबंध रखने वाला होता है और वह किसानों की आय ले जाता है। अपने चाचा को याद करते हुए उन्होंने कहा कि वह शेर थे और पुलिस उन्हें रातभर चली मुठभेड़ के बाद मार पाई थी। मलखान सिंह को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर करने वाले और पान सिंह तोमर के एनकाउंटर की योजना बनाने वाले सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी विजय रमन ने कहा कि ग्वालियर-चंबल क्षेत्र जातिगत विरोध से भरा, समाज में अन्याय वाला था जिसकी वजह से लोग डकैत बन जाते थे। उन्होंने कहा कि राजनेता हमेशा डाकुओं का इस्तेमाल अपने उद्देश्यों के लिए करते हैं और कई बार उनके साथ करीबी वाले संबंध रखते हैं।