भोपाल, मंगलवार, 7 अक्टूबर 2025 : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत और प्रभावी बनाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने सभी जिला कलेक्टर्स से कहा कि वे अस्पतालों का नियमित निरीक्षण करें और स्वास्थ्य सेवाओं में गुणवत्तापूर्ण सुधार सुनिश्चित करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आयुष्मान कार्डधारकों को योजना का पूरा लाभ मिलना चाहिए ताकि हर व्यक्ति को बेहतर इलाज की सुविधा मिल सके। उन्होंने बताया कि प्रदेश में अब तक 30 से अधिक मेडिकल कॉलेज स्थापित हो चुके हैं और जल्द ही यह संख्या 50 तक पहुंच जाएगी। कई कॉलेज पीपीपी मॉडल पर भी शुरू किए गए हैं। जिन जिलों में मेडिकल कॉलेज के लिए भूमि आवंटन प्रक्रिया चल रही है, उसे शीघ्र पूरा किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव कलेक्टर-कमिश्नर सम्मेलन के पहले दिन ‘स्वास्थ्य एवं पोषण’ विषय पर आयोजित सत्र को संबोधित कर रहे थे।
स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती पर हुई विस्तृत चर्चा
प्रमुख सचिव स्वास्थ्य संदीप यादव ने कलेक्टर्स के साथ राज्य में स्वास्थ्य और पोषण व्यवस्था को बेहतर बनाने पर विस्तृत चर्चा की। बैठक में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, गैर-संचारी रोग (एनसीडी), क्षय रोग (टीबी) और सिकल सेल रोग उन्मूलन पर विशेष रूप से चर्चा की गई।
उन्होंने निर्देश दिए कि एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत शिशुओं, किशोरियों और गर्भवती महिलाओं की नियमित हीमोग्लोबिन जांच कराई जाए। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) के तहत उच्च जोखिम गर्भवती महिलाओं की पहचान और सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित किए जाएं।
पोषण और रोग नियंत्रण पर जोर
प्रमुख सचिव ने कहा कि पोषण ट्रैकर का प्रभावी उपयोग किया जाए और छह माह तक केवल स्तनपान को बढ़ावा दिया जाए। मुख्यमंत्री बाल आरोग्य संवर्द्धन कार्यक्रम के तहत कुपोषित बच्चों की पहचान और देखभाल को प्राथमिकता दी जाए।
उन्होंने जननी सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना और अन्य प्रसूति सहायता योजनाओं के भुगतान में समयबद्धता बनाए रखने के निर्देश दिए।
एनसीडी की रोकथाम के लिए उच्च रक्तचाप, मधुमेह, फैटी लीवर और कैंसर की जांच अनिवार्य रूप से की जाए। उन्होंने ईट राइट अभियान, फिट इंडिया और योग जैसी गतिविधियों से जनजागरूकता बढ़ाने पर भी जोर दिया।
क्षय और सिकल सेल रोग उन्मूलन की दिशा में प्रयास
उन्होंने कहा कि टीबी उन्मूलन के लिए एक्स-रे और अन्य आधुनिक जांच सुविधाओं का उपयोग किया जाए, निक्षय पोर्टल पर सभी मरीजों की जानकारी दर्ज की जाए और उन्हें समय पर पोषण सहायता व डीबीटी मिलना सुनिश्चित हो।
सिकल सेल रोग के लिए स्क्रीनिंग, कार्ड वितरण, दवाओं की उपलब्धता और वैक्सीनेशन पर विशेष ध्यान दिया जाए।
उत्कृष्ट जिलों ने साझा किए अपने अनुभव
सत्र के दौरान बालाघाट जिले ने मातृ एवं शिशु मृत्यु दर नियंत्रण के प्रयासों, झाबुआ ने स्वास्थ्य और पोषण सुधार के उपायों तथा मंदसौर ने अपने सम्पूर्ण स्वास्थ्य मॉडल की प्रस्तुति दी।
मुख्यमंत्री ने सभी जिलों से कहा कि वे एक-दूसरे के सफल अनुभवों से सीखें और उन्हें अपने जिलों में लागू करें ताकि स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक प्रभावी बनाया जा सके।