रामचरितमानस के सुंदरकांड में हनुमान जी से जुड़ी कई बाते बताई गई हैं। दरअसल हनुमान जी की पूजा बहुत शक्ति और बल देती है। अगर आप मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की पूजा करते हैं तो आपको किसी तरह का भय नहीं रहता है और हनुमान जी आपकी रक्षा करते हैं। हनुमान जी के आराध्य भगवान श्रीराम हैं, इसलिए हनुमान जी की पूजा से पहले भगवान श्रीराम का ध्यान जरूर करना चाहिए। सुंदरकांड में हनुमान जी के मंगलवार को श्री हनुमाष्टकम, बजरंग बाण, हनुमान बाहुक, सुन्दरकाण्ड, श्री रामचरितमानस का पाठ करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं। ऐसा कहा गया है कि हनुमान जी कलयुग में विशेष पूजनीय हैं। हनुमान जी को 5 चिरंजीवियों में से एक माना गया है। आइए जानें हनुमान जी के ऐसे श्लोक और दोहे, जो आपको जीवन में लाभ देंगे।
सपनें बानर लंका जारी, जातुधान सेना सब मारी,
खर आरूढ़ नगन दससीसा, मुंडित सिर खंडित भुज बीसा
इस चौपाई में एक राक्षसी त्रिजटा ने अपना सपना सुनाया है। इस सपने में उसने देखा कि एक वानर ने यानी हनुमान जी ने लंका को जला दिया है। वहीं सारी राक्षस सेना को भी मार गिराया है। रावण के सभी सिर मुड़े हुए और भुजा टूटी हुई पड़ी हैं। दरसल उस राक्षसी को सपने में आ गया था कि रावण का विनाश होना निश्चित है। सपने में उसने देखा कि हनुमान जी रावण की सोने की लंका को जला दिया है। रावण गदहे पर बिना कपड़ों के पड़ा है।
कपि करि हृदयं बिचार दीन्हि मुद्रिका डारि तब,
जनु असोक अंगार दीन्ह हरषि उठि कर गहेउ
यह एक सोरठा है , जिसमें कहा गया है कि जो गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस के सुंदरकांड से लिया गया है, जिसमें हनुमान जी अपने आराध्या श्री राम के लिए माता सीता का पता लगाने लंका में गए थे। वहां जब माता सीता उन्हें मिली, तो माता सीता को पहचान देने के लिए हनुमान जी ने जब मन में कुछ सोचकर श्रीराम की अंगुठी डाल दी। जब माता सीता ने अशोक वाटिका में भगवान राम की अंगुठी देखी तो अशोक वाटिका ने खुशी से अपने हाथों में पकड़ लिया। उन्हें पता लग गया कि भगवान राम ने उनका पता लगाने के लिए हनुमान जी को भेजा है।